पतझड़ के मौसम में पत्ते अपना रंग क्यों बदल लेते है ?

पतझड़ के मौसम में पत्ते अपना रंग क्यों बदल लेते है ?


पतझड़ के मौसम में पेड़ो से पत्ते झड़ने लगते है । जिन वृक्षो में किसी समय हरे- हरे पत्ते होते थे अब उन्ही वृक्षो के पत्त्ते पीले, लाल या भूरे हो जाते है । पर पतझड़ के मौसम में ऐसा क्यों होता है ? पत्ते अपना रंग क्यों बदलते है?




दरअसल, पेड़ पत्तो से अपना खाना बनाते है । इस प्रक्रिया को photosynthesis कहते है । पेड़ अपने जड़ो से पानी लेते है और हवा से carbon dioxide लेते है । सूरज की किरणों से वो पानी और carbon dioxide को glucose और oxygen में बदल देते है । glucose से उन्हें शक्ति मिलती है और oxygen को वो बाहर निकाल देते है । उसी oxygen से हम सांस लेते है ।




chlorophyll नामक केमिकल पेड़ो को photosynthesis प्रक्रिया में मदद करता  है । इस chlorophyll के कारण पेड़ो के पत्तो का रंग हरा हो जाता है ।





भारत में वर्षा ऋतु के बाद पतझड़ आता है और उसके बाद शरद ऋतु आती है । पतझड़ ऋतु में पेड़ो को बहुत कम सूरज की किरणे मिलती है । कम किरणों की वजह से पेड़ photosynthesis प्रक्रिया नहीं कर पाते और वो अपना खाना (glucose ) नहीं बना पाते । photosynthesis  ना कर पाने की वजह से उन्हें chlorophyll नामक केमिकल की आवश्यकता नहीं होती । इसलिए पत्तो से धीरे- धीरे chlorophyll गायब हो जाता है ।




क्योंकि chlorophyll के कारण पत्ते हरे रंग के थे, सो वो अब हरे नहीं रहते। पेड़ो के पत्ते पीले, लाल या भुरे रंग के हो जाते है । इस कारण पतझड़ के मौसम में पेड़ो के पत्ते पीले, लाल या भुरे रंग के हो जाते है ।




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